पंजाब

किसान-मजदूर सवाल पूछने आए लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान तय कार्यक्रम में नहीं पहुंचे, शिक्षा मंत्री भी सवालों से भागे।

किसान-मजदूर सवाल पूछने आए लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान तय कार्यक्रम में नहीं पहुंचे, शिक्षा मंत्री भी सवालों से भागे।

जंडियाला गुरु कुलजीत सिंह

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब द्वारा आज अमृतसर जिले के लोपोके के नजदीक गांव टपियाला में स्कूल का उद्घाटन करने के लिए निर्धारित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान से शांतिपूर्वक सवाल करने के कार्यक्रम के कारण मुख्यमंत्री नहीं पहुंचे। इस अवसर पर राज्य नेता सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि जिस तरह पिछले 4 दिनों से डीसी अमृतसर लगातार सरकारी स्कूल टपियाला में कार्यक्रम का जायजा लेने आ रहे थे, उसी तरह बच्चों और उनके अभिभावकों को सीएम से तीखे सवाल न पूछने की हिदायतें जारी करके तैयारियां की जा रही थीं, जिस तरह मुख्यमंत्री भगवंत मान के स्वागत में फ्लेक्स बोर्ड लगाए गए थे और मीडिया में साफ तौर पर बताया गया था कि सीएम टपियाला पहुंच रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि किसानों के सवालों से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने अचानक अपना और दिल्ली से चुनाव हार चुके मनीष सिसोदिया का कार्यक्रम रद्द कर दिया और सिर्फ शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ही पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रशासन के आश्वासन के बावजूद शिक्षा मंत्री किसानों व मजदूरों की समस्याओं का जवाब देने से बचते रहे। इस अवसर पर पुलिस बल ने सड़क जाम कर दिया तथा किसानों व मजदूरों ने पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि यहां कार्यक्रम रद्द करने के बाद भगवंत मान मीडिया को बताए बिना चुपके से वेरका मिल्क प्लांट का उद्घाटन करने पहुंच गए। उन्होंने कहा कि भगवंत मान सरकार का दोहरा चेहरा आज एक बार फिर उजागर हो गया है, क्योंकि भगवंत मान सरकार बनाने से पहले खुलेआम यह कहते सुने गए थे कि नेताओं को लोगों के सवालों का जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवंत मान सरकार ने शंभू व खनौरी मोर्चा खेलकर जहां यह दिखा दिया है कि मोदी का हाथ कमजोर है, वहीं केंद्र की मोदी सरकार की तर्ज पर सवाल पूछने के लोकतांत्रिक अधिकार का भी हनन किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के असफल मॉडल को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है, चाहे वह स्वास्थ्य सेवाएं हों या शिक्षा क्षेत्र, और इस उद्घाटन समारोह के आयोजन पर अरबों नहीं तो करोड़ों रुपये बर्बाद किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक सर्वेक्षण के अनुसार पिछले वर्ष आठवीं कक्षा के 79.1 प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा के लिए पंजाबी पढ़ सकते थे, अब यह दर घटकर 72.2 प्रतिशत रह गई है। गणित में आठवीं कक्षा के 62.5% बच्चे तीन अंकों को एक अंक से भाग दे पाते थे, अब यह दर घटकर 58% रह गई है। खेल उपकरण 2022 में 91.9% से घटकर 2024 में 89.3% हो गए हैं, और स्कूलों में पीने का पानी 92.7% से घटकर 88.6% हो गया है। उपयोग योग्य शौचालयों की संख्या 84.1% से घटकर 81.2% हो गई है, तथा बालिकाओं के लिए शौचालयों की संख्या 79.6% से घटकर 77.0% हो गई है। शिक्षकों की उपस्थिति 85.7% से घटकर 81.8% हो गयी है। 30.9.2023 को सरकारी स्कूलों में नामांकित छात्रों की संख्या 24,49,233 थी, लेकिन एक साल बाद 30.9.2024 को यह घटकर 23,58,355 हो गई है। स्कूलों में प्रति बच्चे पर व्यय 60,769 रुपये से बढ़कर 66,887 रुपये हो गया है। माध्यमिक विद्यालयों में प्रति बच्चे की लागत 65,750 रुपये से बढ़कर 75,065 रुपये हो गई है, जिससे शिक्षा विभाग की लापरवाही पिछली सरकारों से भी ज्यादा बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री इसी तरह जनता के सवालों से बचते रहे तो किसान और मजदूर हर जगह उनसे सवाल पूछने आएंगे। इस मौके पर सेक्रेटरी सिंह कोटला, बाज सिंह सारंगरा, लखविंदर सिंह डाला, कुलजीत सिंह काले, गुरदेव सिंह गग्गोमहल, कुलबीर सिंह लोपोके, गुरलाल सिंह कक्कड़, सुविंदर सिंह कोलोवाल, शरणपाल सिंह बच्ची पिंड, जसमीत सिंह रानिया, गुरदास सिंह विछोआ, सुखजिंदर सिंह हरार, प्रभजोत सिंह गुजरपुरा, लखविंदर सिंह मधु शांगा समेत सैकड़ों किसान मजदूर और महिलाएं मौजूद थीं।

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