हरियाणा

*नीलम विश्वविद्यालय कैथल ने डॉ वसिष्ठ की योगताओ के लिए किया सम्मानित*

मनोज शर्मा, चंडीगढ़। डॉ. हरीश वशिष्ठ एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद,प्रशासक और कौशल विकास विशेषज्ञ हैं, जिनके पास शिक्षा,स्वास्थ्य देखभाल और व्यावसायिक प्रशिक्षण में 24 वर्षों का अनुभव है। पंचकूला,हरियाणा में एल आर मेमोरियल एजुकेशनल ट्रस्ट और एल आर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के अध्यक्ष और संस्थापक के रूप में,उन्होंने शैक्षणिक उत्कृष्टता,प्रशासनिक पुनर्गठन और कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

वे बहु-विषयक पृष्ठभूमि से संबंधित हैं और बी.एस.सी (मेडिकल), बी.ए.एम.एस, बीपीटी, एमपीटी (ऑर्थो) और मार्केटिंग में एमबीए जैसी कई डिग्रियों के धारक हैं। इसके अलावा, वे इलेक्ट्रॉनिक स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया के तहत एन.एस.डी.सी द्वारा प्रमाणित ट्रेनर ऑफ ट्रेनी फील्ड टेक्नीशियन हैं और भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के आजीवन सदस्य भी हैं। अपने करियर के दौरान, डॉ. वशिष्ठ ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों जैसे कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, और आवास एवं शहरी आदि के साथ मिलकर व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों को लागू किया है। उन्होंने अपने नेतृत्व के माध्यम से दीनदयाल अंत्योदय योजना,राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और निर्माण कौशल विकास परिषद के तहत निपुण प्रोजेक्ट जैसी परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।

उन्होंने हरियाणा कौशल विकास मिशन में मिशन निदेशक के रूप में कार्य किया है और सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय, एनएमआईएमएस मुंबई, निम्स जयपुर जैसे विश्वविद्यालयों के साथ कार्य कर चुके है। नीलम विश्वविद्यालय में वे पैरामेडिकल विभाग के डीन के रूप में कार्यरत हैं। डॉ. वशिष्ठ की प्रतिबद्धता छात्रों के प्रशिक्षण और प्लेसमेंट के प्रति सराहनीय रही है, जिसमें पीजीआई चंडीगढ़, एम्स दिल्ली, फोर्टिस, जीएमसीएच और पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में उनके मार्गदर्शित छात्रों को अवसर प्राप्त हुए हैं। उनकी पहल के माध्यम से कई छात्रों को कनाडा, केन्या, ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान में भी रोजगार मिला है।

उनका दृष्टिकोण छात्रों में बौद्धिक क्षमता, प्रबंधकीय कौशल और नैतिक मूल्यों को विकसित करना है, जिससे वे सफल पेशेवर बन सकें। अपने नेतृत्व और समर्पण के माध्यम से, डॉ. वशिष्ठ शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को पाटकर भारत की कार्यशक्ति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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